यूरिया आयात: भारत की स्वदेशी उत्पादन की ओर बढ़ते कदम, इस वर्ष आयात में कमी



भारत की केंद्र सरकार ने बताया है कि यूरिया का आयात मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 में कम हो गया है। राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में, रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने पिछले पांच वर्षों में यूरिया के आयात का विवरण साझा किया। इस साल 24 मार्च तक भारत ने 74.86 लाख टन यूरिया का आयात किया है, जो पिछले चार सालों में सबसे कम है। आशा है कि भविष्य में भी इसमें कमी रहेगी। वास्तव में, स्वदेशी यूरिया उत्पादन क्षमता में वृद्धि के कारण ऐसा हुआ है।

भगवंत खुबा ने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में यूरिया का आयात 91.36 लाख टन था। इसके बाद 2020-21 में यह 98.28 लाख टन हो गया था। 2019-20 में आयात 91.23 लाख टन और 2018-19 में 74.81 लाख टन रहा था। इससे पता चलता है कि वर्ष 2018-19 से 2020-21 तक यूरिया का आयात बढ़ा है, हालांकि वर्ष 2021-22 और 2022-23 में इसमें कमी आई है। उन्होंने बताया कि 1 अगस्त, 2021 से इफको ने नैनो लिक्विड यूरिया का उत्पादन शुरू किया है। नैनो यूरिया का उत्पादन पिछले वित्त वर्ष में 290 लाख बोतल हुआ था जो इस वित्त वर्ष में 21 मार्च तक 452.11 लाख बोतल तक पहुंच गया। नैनो यूरिया की 500 मिली की बोतल एक बोरे सामान्य यूरिया के बराबर होती है।

स्वदेशी यूरिया उत्पादन क्षमता बढ़ी 

पिछले तीन वर्षों में केंद्र सरकार ने अनेक बड़े खाद कारखानों की स्थापना करके यूरिया के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा दिया है। इससे देश की मौजूदा स्वदेशी यूरिया उत्पादन क्षमता में प्रति वर्ष 76.2 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि हुई है। कृषि विशेषज्ञ बिनोद आनंद कहते हैं कि अगर सरकार ने ये प्रयास नहीं किए होते तो खाद के मामले में रबी और खरीफ सीजन में आप जो हाहाकार देखते हैं, उससे कहीं बहुत बुरी स्थिति होती। भारत में सालाना 350.64 लाख मीट्रिक टन यूरिया की खपत होती है। 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को यूरिया क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मनमोहन सिंह सरकार ने पहले कदम उठाए थे, जिसे मोदी सरकार ने भी बहुत तेजी से आगे बढ़ाया। यूरिया क्षेत्र में नए निवेश के लिए सरकार ने 2 जनवरी, 2013 को एनआईपी-2012 नीति की घोषणा की थी, जिसे 7 अक्टूबर, 2014 को संशोधित किया गया।