देश में ऊंटों की आबादी में काफ़ी गिरावट

19वीं पशुधन संगणना (2012) की तुलना में 20वीं पशुधन संगणना में ऊंटों की आबादी 4 लाख से घटकर  2 लाख 50 हजार ही रह गई है। ये चौकाने वाले आंकड़े हाल ही में सम्पन्न हुई लोकसभा में पशुपालन मंत्री ने दिए। इस प्रकार ऊंटों की संख्या में 37 प्रतिशत की कमी हो गई।

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भारत की सबसे ज़्यादा लगभग 84 प्रतिशत ऊंट आबादी राजस्थान में रहती है। वहीं गुजरात में ऊंटों की आबादी कुल देश की ऊँट आबादी का 11 प्रतिशत है। ऊंटों की आबादी में हुई कमी के मुख्य कारण में प्रमुख कारण है कृषि क्षेत्र के लगातार नयी तकनीकी ने ऊंट की उपयोगिता को कम कर दिया है। हालाँकि  इससे किसानो का काफ़ी समय बच जाता है। अधिकांश आंतरिक क्षेत्र पक्की सडक़ों से जुड़े हुए हैं और एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आने के लिए ऊंटों पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो रही है।

देश में अन्य पशु बढ़े, पर राजस्थान में घटे

कुल मिलाकर देश में पशुधन की आबादी में 4.63 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि राजस्थान में यह यह कम हुई है। उसका मुख्य कारण राजस्थान में ऊँट का कम प्रयोग।

ऊंटों की घटती आबादी को बढ़ाने राजस्थान सरकार ने ऊंट को अपने राज्य पशु के रूप में घोषित किया है और 2015 में ही राजस्थान सरकार ने ऊंट वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रव्रजन या निर्यात का विनियमन लागू किया है। राजस्थान ऊंट अधिनियम 2015 के तहत ऊंट को राज्य से बाहर निकालने या उसके अस्थायी प्रव्रजन और उसके मारने पर प्रतिबंध है।