गुजरात चुनाव के बाद गेहूं पर एक्शन लेगी सरकार!

गेहूं की कीमतों को लेकर अब व्यापारियों और किसानों में उत्सुकता बढऩे लगी है। हालांकि, अब किसानों के पास गेहूं नहीं है और स्टॉकिस्टों के पास भी बड़े भाव में हुई मुनाफ वसूली के कारण स्टॉक घटा है। बाजार भी पिछले दो-तीन दिन से ठहरा हुआ सा है।
दिल्ली लारेंस रोड का भाव 2880 रुपए तक जाने के बाद फिर 2855 रुपए पर आ गया है। सूत्रों का कहना है कि सरकार गेहूं की निगरानी कर रही है, लेकिन गुजरात चुनाव के चलते कोई एक्शन लेने से कतरा रही है। सूत्रों का कहना कि इन चुनावों के बाद अर्थात दिसंबर के पहले सप्ताह के बाद गेहूं पर सरकार कोई बड़ा कदम उठा सकती है, जैसे खुले सरकारी भंडार से खुले बाजार में बिक्री अथवा स्टॉक लिमिट लागू करना शामिल है।
सूत्रों का कहना है कि चुनाव के बाद गेहूं का आयात भी किया जा सकता है और आयात शुल्क में कमी करके रूस से गेहूं मंगवाई जा सकती है। बताया जा रहा है कि रूस में गेहूं का भंडारण काफ़ी बड़े स्तर पर है। इन सब कारणों से बाजार में बिक्री बढ़ी है और दाम में गिरावट आने लगी है। अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार भी गेहूं वायदा में गिरावट दर्शा रहा है। इस साल जहां भारत में गेहूं के उत्पादन में काफ़ी गिरावट दिखाई दी और रूस-यूक्रे न युद्ध के कारण शुरू आती सीजन में गेहूं का काफ़ी निर्यात किया गया। गेहूं के ऊंचे दामों के कारण इस साल गेहूं की बिजाई का रकबा भी बड़े स्तर पर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। जानकारों का कहना है कि रबी की बिजाई 10 से 12 प्रतिशत तक अधिक हो सकती है।