दिसंबर में बढ़े तापमान से गेहूं-सरसों पर असर

उत्त्तर भारत में इस बार सर्दी के तेवर अभी तीखे नहीं हुए हैं। दिसंबर आने के बावजूद दिन का तापमान अभी भी 27-28 डिग्री पर बना हुआ है। ये आम लोगों के लिए राहत की बात हो सकती है, लेकिन सरसों और गेहूं की फसल के लिए ये घातक है। उत्त्तर भारत के सात राज्यों में इस साल गेहूं का बिजाई क्षेत्र काफ़ी बढ़ा है और सरसों के बिजाई क्षेत्र में भी काफ़ी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन दिन का तापमान अधिक होने के कारण फसल की प्रगति पर विपरीत असर पड़ रहा है। इससे कई प्रकार के किट रोग भी पनप रहे हैं। यदि स्थितियां इसी प्रकार रही तो इन फसलों के कुल उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
हाल ही में सरसों बिजाई को लेकर करवाए गए सर्वे में यह बात उभर कर आई थी कि कई स्थानों पर दिन का तापमान अधिक होने से सरसों की फसल खराब हो रही है। इसलिए सरसो के उत्पादन मे गिरावट आने की संभावना है। पिछले साल होली के आसपास तापमान अचानक बढऩे से गेहूं के उत्पादन मे गिरावट आई थी। उत्पादन कम होने के कारण गेहूं के भाव 27 से 28 प्रतिशत बढ़ चुके हैं।
उधर मौसम विभाग का कहना है कि इस साल उत्त्तर पश्चिम और उत्तर पूर्वी भारत के हिस्सों में न्यूनतम और अधिक तम तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है। मौसम विभाग के अनुसार कम बादल छाए रहने और औसत से कम बरसात होने से तापमान सामान्य से अधिक रहेगा।